माघ पूर्णिमा व्रत 2025: तिथि, समय और अनुष्ठान
धर्म एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे "माघी पूर्णिमा" के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक शुद्धि, पुण्य प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। आइए, माघ पूर्णिमा व्रत 2025 की तिथि, समय, रीति-रिवाज और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।


माघ पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय
2025 में माघ पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025, रात 08:54 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, रात 10:24 बजे
इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, माघ पूर्णिमा को "मुनि पूर्णिमा" भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन ऋषि-मुनियों को विशेष रूप से याद किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
माघ पूर्णिमा व्रत के रीति-रिवाज
1. सुबह स्नान:
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। ऐसा करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है।
2. व्रत और पूजा:
माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान फल, फूल, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें।
3. दान-पुण्य:
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, फल और दक्षिणा दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. सत्संग और कीर्तन:
माघ पूर्णिमा के दिन भक्ति गीत, कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। इससे मन को शांति और आत्मिक खुशी मिलती है।
5. रात्रि में चंद्र दर्शन:
रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चंद्रमा को जल अर्पित करने से मन शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
माघ पूर्णिमा की कथा
माघ पूर्णिमा से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी के साथ समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को देवताओं को वितरित किया था। इसी कारण इस दिन को अमृत का दिन भी माना जाता है।
माघ पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
माघ पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह दिन मनुष्य को अपने अंदर की नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने का संदेश देता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से मनुष्य के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
निष्कर्ष
माघ पूर्णिमा एक पवित्र त्योहार है जो हमें आध्यात्मिकता और धार्मिकता की ओर ले जाता है। इस दिन व्रत रखकर, पूजा-अर्चना करके और दान-पुण्य करके हम अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं। 2025 में माघ पूर्णिमा का यह पावन अवसर 12 फरवरी को है, इसलिए इस दिन के महत्व को समझें और पूरी श्रद्धा के साथ इस त्योहार को मनाएं।
माघ पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!