भारतीय संस्कृति में आभूषणों का महत्व | Importance of Ornament in Indian culture
सनातन धर्म में आभूषणों के महत्व को जाने तथा इसके सांस्कृतिक,आध्यात्मिक और सौंदर्य संबंधी आयामों की खोज करें जो इस प्राचीन परंपरा को समृद्ध करते हैं।
CULTURE


प्राचीन काल से ही आभूषण हमारी सनातन सभ्यता तथा संस्कृति का एक बहुत ही बड़ा अंग रहे है। सामान्यतः लोग आभूषणों को सुंदरता, धन वैभव, शक्ति और समाज में प्रतिष्ठा जैसी बातों से ही जोड़ कर देखते हैं पर क्या आपको यह ज्ञात है इन आभूषणों को सिर्फ सुंदरता ही नही बल्कि दूसरे अन्य कारणों से पहना जाता है।
इन्हे पहने जाने के पीछे बहुत से दूसरे महत्वपूर्ण कारण है, जैसा कि आपको पता ही होगा कि हमारा सनातन धर्म बहुत ही प्राचीन धर्म है और सनातन धर्म में बहुत से ऐसे रीति रिवाज हैं जिनके पीछे ना सिर्फ सांस्कृतिक बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी छुपे होते हैं और ऐसे ही सनातन धर्म में आभूषण पहनने के पीछे भी बहुत सारे वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारण छुपे हुए हैं जिनके बारे में आज के समय में बहुत ही कम लोग जानते हैं।
हमारे आज के इस लेख में हम आपको आभूषण पहनने के इन्हीं महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारणों के बारे में विस्तार से बताएंगे तो इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि इस लेख में कई ऐसी बातों का उल्लेख किया गया है जिनके बारे में शायद आपने पहले ना सुना हो।
प्राचीन काल से ही आभूषण सनातन धर्म का अभिन्न अंग रहे हैं वैदिक काल में करीब ३६ से भी ज्यादा ऐसे अनिवार्य आभूषण पहने जाते थे। यह आभूषण पहनने वाले को उसकी दिव्य चेतना (चैतन्य) को आत्मसात करने में भी सहायता प्रदान करते हैं। आइये, दिव्य चेतना और आभूषणों के बीच के सम्बन्ध को थोड़ा विस्तार से समझने का प्रयास करतें हैं। संसार जो की माया के अधीन हो चुका है उसे दिव्य चेतना (चैतन्य) प्रदान करने के लिए आभूषण अत्यंत आवश्यक है क्योंकि आभूषण मुख्य रूप से रज प्रधान प्रवृत्ति के होते हैं और तेज प्रदान करतें हैं। बिना आभूषण के कोई तेज प्रदान करने वाली अभिव्यक्ति नहीं होगी और जब कोई अभिव्यक्ति नहीं होगी तो इसके बिना कोई गतिविधि भी नहीं होगी। गतिविधि के बिना कोई प्रकृति नहीं होगी और प्रकृति नही होगी तो इसके बिना कोई माया नहीं होगी और इसीलिए जब संसार माया का रूप धारण कर लेता है तो उसे दिव्य चेतना आभूषण के माध्यम से ही मिल सकती है।
आभूषण और उनके पीछे छुपे हुए लाभ
दिव्य चेतना के अलावा इनकी सहायता से शरीर के चक्रों का शुद्धिकरण और जागृतिकरण भी किया जा सकता हैं क्योंकि विभिन्न प्रकार के आभूषणों को शरीर के विभिन्न अंगों में पहना जाता है। शरीर का हर अंग एक विशेष प्रकार के चक्र से संबंधित होता है। जब शरीर के किसी विशेष प्रकार के अंग पर कोई आभूषण पहना जाता है तो मनुष्य की चेतना जागृत हो जाती है। अब क्योंकि यह चेतना उस विशेष आभूषण की वजह से जागृत हुई है इसलिए उस आभूषण और शरीर के उस विशेष चक्र के बीच में एक कड़ी या संबंध बन जाता है। इससे उसे चक्र की शुद्धि होती है जिससे आभूषण को धारण करने वाले व्यक्ति पर अगर किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो वह दूर हो जाता है।
इसके अलावा हिंदू धर्म में महिलाओं के आभूषण पहनने के पीछे का मुख्य कारण सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसात करना और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाना है। आभूषणों में पाया जाने वाला तेज तत्व जो की पूर्णतया अग्नि सिद्धांत पर आधारित होता है, महिलाओं में पाए जाने वाले रजोगुण को सही दिशा प्रदान करता है और उसे महिला में उपलब्ध तेज के अनुसार ही कार्य करने के लिए मजबूर करता है। इसलिए ऐसा भी माना जाता है कि जो स्त्री आभूषण पहनती हैं वह सही मार्ग पर चलती हैं और बिना सोचे समझे कोई भी गलत कार्य नहीं करती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ऐसी महिलाएं जो की बहुत ज्यादा संवेदनशील होती हैं। उन्हें बड़े आकार के आभूषण पहनना चाहिए क्योंकि बड़े आकार के आभूषण महिलाओं के रजोगुण को सक्रिय कर देते हैं जिससे महिलाओं में योद्धा भावना जाग जाती है। बड़े आकार के आभूषण सकारात्मक ऊर्जा को अधिक मात्रा में आकर्षित करते हैं और शरीर जितना ज्यादा इन आभूषणों से ढका होता है नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश उतना ही मुश्किल हो जाता है।
मुख्यत: सोना और चांदी के आभूषण ही पहनने के पीछे क्या कारण है?
प्राचीन काल से ही आभूषणों के निर्माण के लिए प्रमुख रूप से चांदी और सोने का ही उपयोग किया जा रहा है। सोने के आभूषण सभी को बहुत ही पसंद होते है। सोने को सबसे ज्यादा सात्विक भी माना जाता है। स्वर्ण आभूषणों की लोकप्रियता के पीछे छुपा एक बहुत ही बड़ा व्यवहारिक कारण यह है की सोने के आभूषणों को दैनिक जीवन में बहुत ही सरलता के साथ पहना जा सकता है क्योंकि ये बहुत ही मजबूत होते हैं और दैनिक जीवन में प्रयोग करने से यह खराब भी नहीं होते हैं। इन्हें अत्यंत ही बहुमूल्य माना जाता है। ऐसा माना जाता है की सोने के अंदर ऐसी शक्ति होती है कि यह जिसे भी छूता है उसे शुद्ध कर देता है। सोने को धन वैभव और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। सोने के गहने पहनने के पीछे का वैज्ञानिक कारण यह है कि सोना शरीर की आभा और ऊर्जा के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देता है।
आपको यह अवश्य ही ज्ञात होगा की हमारी संस्कृति में सोने के बाद चांदी के ही गहनो का प्रयोग अत्याधिक रूप से किया जाता है। चांदी के आभूषण सुंदर होने के साथ ही और भी बहुत से गुणों से भरे हुए हैं। चांदी के आभूषणों में औषधीय गुण के साथ-साथ आध्यात्मिक गुण भी पाए जाते हैं। चांदी पृथ्वी की ऊर्जा के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देती है। इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार ऐसा माना जाता है कि चांदी चिकित्सीय गुणों से भरा होता है और इसकी प्रवित्ति ठंडी होती है जिसकी वजह से इसे पहनने से शरीर का तापमान ठंडा होता है तथा कई प्रकार की स्वास्थ्य की समस्या भी दूर हो जाती हैं। चांदी को चंद्रमा से भी जोड़कर के देखा जाता है और चांदी को स्त्रीत्व का प्रतीक भी माना जाता है। यह नकारात्मक भावनाओं से लड़ने में और सपनों को सच करने में भी मदद करता है। चांदी के गहनों को भी हमारे समाज में धन और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।
नथ (Nose Ring )
आयुर्वेद में ऐसा बतलाया गया है की नाक में एक विशिष्ट नोड के पास नथ पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित रहता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस नथ से हवा भी शुद्ध हो जाती है। नथ पहनने से भावनाएं भी नियंत्रण में रहती हैं।हिन्दी में नथ, नथुनी, नकेल, नाक में पहनाने का गहना, और नाक की अंगूठी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, नाक में बाईं तरफ़ नथ पहनना बहुत शुभ माना जाता है। यह शरीर को सभी बीमारियों से बचाती है। नथ पहनने और नाक छिदवाने के कई तरह के स्वास्थ्य लाभ विवाहिता को मिलते हैं। नाक में बाईं तरफ नथ पहनने से वधू को लक्ष्मी माता का स्वरूप माना जाता है। किसी भी शुभ अवसर पर नथ पहनना एक अच्छा संकेत माना जाता है। यह सुंदरता को तो बढ़ाती है साथ ही यह भी माना जाता है कि इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, और आपके घर में बरकत बनी रहती है.
पायल
चांदी की पायल जो कि हमारी संस्कृति और सभ्यता का एक अटूट हिस्सा रही है, मात्र एक आभूषण नहीं है। पायल को पहनने के पीछे भी कई सारे महत्वपूर्ण कारण है। ऐसा माना जाता है की पायल को पहनने वाले की ऊर्जा वापस उस के शरीर में री-वाईब्रेट हो जाती है। इसके अलावा अगर किसी ने बहुत सारे सोने के आभूषण पहन रखे हैं तो चांदी की पायल पहनने से दोनों ही तरह के धातुओं से निकलने वाली ऊर्जा आपस में संतुलित हो जाती है। सोने के बहुत ज्यादा आभूषण पहनने की वजह से शरीर में जो विद्युत धारा का प्रवाह होता है इसका विरोध करने के लिए चांदी की पायल पहनने की सलाह दी जाती है। चांदी की पायल पहनने से इन धाराओं का विरोध के साथ-साथ शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का बहाव भी होता रहता है। पायल को पहनने से पैरों में होने वाली पीड़ा एवं कमजोरी में भी आराम मिलता है। चांदी की पायल को पहनने से शरीर को और भी कई सारे लाभ मिलतें है। चांदी की पायल पहनने से इससे निकलने वाले घुंघरू की आवाज से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
कर्ण आभूषण (कान की बाली) Ear Ring
हिंदू संस्कृति में कान में पहने जाने वाले गहनो का भी बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग होता है। कानों में बाली पहनने से, पहनने वाला व्यक्ति और भी ज्यादा सक्रिय और सतर्क हो जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इससे शरीर की धारा का बहाव नियंत्रित हो जाता है। कान में सोने के बालियाँ पहनने से आंखों की दृष्टि सही रहती है। ऐसा भी कहा जाता है की कानों में बालियां पहनने से भूख कम लगती है जिससे वजन नियंत्रित रहता है।
हार (Neckless)
गले में विभिन्न तरीके के आभूषणो को पहनने का रिवाज प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। ऐसा कहा जाता है की हार पहनने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और भावनाओं पर भी नियंत्रण बना रहता है। सोने से बना हुआ हार पहनने से बहुत ही ज्यादा मात्रा में प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है जिससे पहनने वाले के आसपास के वातावरण में भी हर तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार देखने को मिलता है।
अंगूठी (Ring)
सोने की अंगूठी पहनना भी बहुत ही ज्यादा लाभप्रद माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सोने की अंगूठी से होने वाला घर्षण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी होता है। कनिष्ठ अंगुली में सोने की अंगूठी पहनने के बहुत से फायदे हैं जैसे कि इससे आपका स्वास्थ्य सही रहता है और आप सामान्य तौर से होने वाली सर्दी खांसी से भी बचे रहते हैं। ऐसा भी कहा जाता है की अंगूठी पहनने से व्यक्ति अपने जीवन को अच्छे तरीके से संभाल पाता है।
तो हमारा आज का यह लेख यहीं पर समाप्त होता है। आशा है कि आपको यह लेख अत्यन्त पसंद आया होगा और आपको इस लेख के माध्यम से काफी सारी नई बातें भी ज्ञात हुई होंगी। आपके इस विषय को लेकर क्या विचार है, यह आप हमें अवश्य बताएं।
कमरबंद (करधनी)
कमर पर पहनी जाने वाली करधनी जिसे कमरबंद भी कहा जाता है, एक बहुत ही सुंदर दिखने वाला आभूषण है। ऐसा माना जाता है की चांदी से बनी हुई कमरबंद को पहनने से कमर पतली रहती है। इसके अलावा इससे मासिक धर्म भी नियंत्रित रहता है और इस दौरान होने वाली पीड़ा भी नियंत्रित रहती है ।


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